6/8/09

America dont want to interfere in Kashmir

वॉशिंगटन ।। अमेरिकी राष्ट्रपति बाराक ओबामा के अहम सहयोगी ब्रूस राइडल ने साफ किया है कि अमेरिका का कश्म ीर मुद्दे पर दखलंदाजी करने का कोई इरादा नहीं है। हालांकि अमेरिका भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव कम करने की कोशिशों का समर्थन करेगा। इसके अलावा ब्रूस ने जोर दिया कि पाक मुंबई हमलों के लिए जिम्मेदार लोगों को कठघरे में लाने के लिए पहला कदम उठाए।
भारत में आशंका है कि हो सकता है कि अफगानिस्तान और पाकिस्तान के लिए अमेरिका के विशेष दूत रिचर्ड हॉलब्रुक को दी गई जिम्मेदारियों मे कश्मीर मुद्दा भी शामिल हो। ब्रूस अफगान-पाक पर नई अमेरिकी रणनीति बनाने वाली इंटर एजंसी कमिटी के सह अध्यक्ष हैं। सीआईए के इस पूर्व अधिकारी ने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव में कमी और द्विपक्षीय समग्र वार्ता की बहाली देखना अमेरिका के हित में है।
ब्रूस ने कहा, मुझे नहीं लगता कि कोई भारतीय सरकार पिछले साल नवंबर में हुए हादसे को भूल सकती है। पाक सरकार सबूत मांग रही है। मुझे लगता है कि भारत ने सबूत मुहैया करा दिए हैं। अब समय है कि लश्कर ए तैयबा, जमात उद दावा और इस आतंकवादी हमले के साजिशकर्ताओं के खिलाफ कदम उठाए जाएं।
द्विपक्षीय संबंधों पर टिप्पणी देते हुए राइडल ने कहा, अमेरिका में यह द्विदलीय आम सहमति है कि भारत 21वीं सदी में अमेरिका का सबसे महत्वपूर्ण भागीदार और मित्र होगा।
आईएसआई के लश्कर, जमात के साथ संबंध बरकरार
पूर्व सीआईए अधिकारी ब्रूस राइडल ने कहा है कि पाक खुफिया एजंसी के लश्कर ए तैयबा और जमात उद दावा जैसे आतंकवादी संगठनों से रिश्ते बरकरार हैं। अमेरिका को पाकिस्तानी सरकार के प्रति कठोर रवैया अपनाने की जरूरत है और उसे स्पष्ट संदेश भेजना चाहिए कि वह इस तरह आतंकवाद विरोधी नीति पर नहीं चल सकता।

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